बिजली विभाग की लापरवाही से जा सकती थी पत्रकार की जान, ग्रामीणों ने डीएम को दिया आवेदन।
दरभंगा: हर घर बिजली का दावा जहां सरकार द्वारा किया जाता है, वहीं बिजली विभाग के द्वारा भी लगातार सप्लाय एवं सुविधा के नाम पर महंगे दरों से बिल सख्ती से वसूला जाता है। पर आज भी कई जगह बिजली के तारों की खतरनाक स्थिति बनी हुई है और जबतब दुर्घटनाओं की खबर भी आती रहती है।
मंगलवार को पुनः एकबार एक बड़ी घटना टल गयी। वॉयस ऑफ दरभंगा के संवाददाता आशीष महापात्रा की जान बिजली के झटके से जाते बची।
बताते चलें कि बहादुरपुर प्रखण्ड के उघरा गांव में बांस बल्ले के सहारे पूरे महापात्र टोले में बिजली के तारों द्वारा लुंज पुंज स्थिति में बिजली की आपूर्ति की जा रही है। इस तार कई प्रकार लत्ती आदि भी लटके रहते हैं जिससे करीब एक वर्ष पूर्व एक गाय की जान जा चुकी है। लोगो द्वारा शिकायत करने पर भी आजतक एक भी पोल नहीं गाड़ा गया। मंगलवार की सुबह तार पर लटके लत्ती को हटाने के क्रम में वॉयस ऑफ दरभंगा के संवाददाता आशीष कुमार को बिजली का जोरदार झटका लगा जिससे बे मूर्छित हो गए। स्थानीय लोगों ने तुरन्त प्राथमिक उपचार किया जिससे उनकी जान बच गयी। इस घटना के बाद स्थानीय लोगों का गुस्सा बिजली विभाग पर फूट पड़ा। परंतु लोगों के आक्रोश आशीष ने संभाला और सबने तत्काल जिलाधिकारी को आवेदन देने का निश्चय किया। ग्रामीणों ने समाहरणालय पहुंच जिलाधिकारी के कार्यालय में आवेदन दिया।
जिलाधिकारी को सौंपे गए आवेदन में उघरा पंचायत के वार्ड 11 महापात्र टोल के लोगों ने बताया कि हमारे मोहल्ले में बांस-बल्ला के सहारे बिजली का तार बिछाकर विद्युत सप्लाई किया जाता है। इससे आए दिन बिजली का झटका लोगों को लगता रहता है। किसी भी समय बड़ी घटना हो सकता है। इस बाबत 21-02-2019 को कार्यपालक अभियंता, ग्रामीण विद्युत प्रमंडल दरभंगा को दर्जनों लोगों के हस्ताक्षर युक्त आवेदन दे चुके हैं एवं लगातार विद्युत विभाग के पदाधिकारी को मोबाइल पर इसकी सूचना देते रहते हैं। इसके बावजूद भी अभी तक बिजली का खंभा नहीं लगाया गया है। मंगलवार को भी बांस के खंभे से तार को टूट जाने से एक बड़ी घटना होते होते रह गया। वहीं लोगों का कहना था कि वार्ड 11 में के करीब 25-30 परिवार निवास करते हैं लेकिन एक भी पोल अभी तक नहीं है। इससे आए दिन बिजली से कोई न कोई खतरा होते रह जाता है।आवेदनकर्ताओं में विजय कुमार झा, कौशल्या देवी, विभा देवी, ममता देवी, अंजली देवी, अंबे देवी, तारा देवी, दिला देवी, मीना देवी, दायसुंदर देवी, आशीष कुमार झा, सच्चिदानंद झा, उज्जवल कुमार झा आदि शामिल थे।
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