Home Featured कुलपति ने किया वृद्धावस्था में समायोजन की समस्याएं पुस्तक का विमोचन।
September 1, 2021

कुलपति ने किया वृद्धावस्था में समायोजन की समस्याएं पुस्तक का विमोचन।

दरभंगा: कुछ अच्छा करने की कोशिश बहुत सुंदर और शाश्वत होती है। रचना-कर्म भले ही बहुत कष्टकारी होता है, लेकिन इसके पूरा होने पर जो अभूतपूर्व आनंद मिलता है उसकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती। ये बातें ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह ने बुधवार को इंटर स्तरीय उच्च विद्यालय, खिरमा की शिक्षिका एवं सुप्रसिद्ध गायिका डॉ. सुषमा कुमारी की पुस्तक ‘वृद्धावस्था में समायोजन की समस्याएं’ का विमोचन करते हुए कही।

उन्होंने कहा कि यह भी सच है कि रचना धर्मिता हमें मुश्किलों से लड़ने की ताकत देने के साथ-साथ संवेदनशील भी बनाती है। अपने सृजनशील सोच से वृद्धावस्था में समायोजन की समस्याओं का अद्यतन आंकड़ा के आधार पर जिस प्रकार इस पुस्तक में लेखिका ने शोधपरक विश्लेषण प्रस्तुत किया है, निश्चित रूप से यह शोध-कार्य में जुटे छात्र-छात्राओं के साथ-साथ शिक्षकों के लिए भी काफी उपयोगी साबित होगा।

मौके पर विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव एवं लनामिवि के सिंडिकेट सदस्य डॉ. बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि सामाजिक परिवर्तनों के दौर में जिस प्रकार वृद्धों की समस्याएं विकराल रूप धारण करती जा रही हैं, ऐसे में इन समस्याओं के मूल कारण को जानने में डॉ. सुषमा की यह पुस्तक काफी मददगार साबित होगी। मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं. कमलाकांत झा ने वृद्धों के समायोजन की समस्या के पड़ताल में इस पुस्तक को काफी फायदेमंद बताया। लनामिवि के स्नातकोत्तर मनोविज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. इन्द्र कुमार राय ने कहा कि बदलते समय के साथ वृद्धों की समस्याएं आज विश्वव्यापी समस्या बनकर सामने आई है। जीवन के प्रारंभिक वर्षों में सुखमय जीवन की कामना करने वाले व्यक्ति वृद्धावस्था में शारीरिक एवं मानसिक रूप से अपने आप को बहुत ही ज्यादा पीड़ित महसूस करने लगे हैं। आधुनिकता की अंधी दौड़ में एकल परिवार के बढ़ते चलन के कारण भी अधिकतर वृद्धजन स्वयं को परिवार से उपेक्षित व अलग-थलग महसूस करने लगे हैं। वृद्धजनों की विभिन्न समस्याओं को ध्यान में रखकर इस पुस्तक को पूरा करने का लेखिका का प्रयास सराहनीय है। कुलपति के प्रति आभार प्रकट करते हुए डॉ. सुषमा कुमारी ने कहा कि अपने व्यस्ततम दिनचर्या से बहुमूल्य समय निकालकर अपने कर-कमलों से पुस्तक का विमोचन करते हुए अपने आशीर्वचनों से अभिसिंचित कर उन्होंने हमें कृतकृत्य कर दिया है। इस अवसर पर लेखिका के शिक्षक पति नवल किशोर झा, मैथिली सेवी प्रो. विजयकांत झा, संयोजक प्रवीण कुमार झा, भास्कर झा आदि की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।

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