Home Featured मिथिला रत्न सम्मानोपाधि से अलंकृत किए गये मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति।
December 29, 2021

मिथिला रत्न सम्मानोपाधि से अलंकृत किए गये मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति।

दरभंगा: ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सुरेंद्र प्रताप सिंह बुधवार को उनके आवास पर मिथिला रत्न सम्मानोपाधि से अलंकृत किए गये। मैथिली के संवैधानिक अधिकार दिवस के उपलक्ष्य में 22-23 दिसम्बर को उत्तर प्रदेश के श्रीअयोध्याधाम में आयोजित 19वें अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन में स्वास्थ्य कारणों से उनके वहां नहीं पहुंच पाने के कारण सम्मेलन की ओर से उन्हें यह सम्मान सम्मेलन के महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने प्रदान किया। उन्हें यह सम्मान उनके कार्यकाल में मैथिली भाषा के उन्नयन सहित उनके नेतृत्व में मिथिला के विभूतियों के सम्मान भाव में हो रही उत्तरोत्तर वृद्धि के लिए प्रदान किया गया।

इस दौरान डॉ बैजू के साथ मैथिली के वरिष्ठ साहित्यकार सह दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक डॉ अशोक कुमार मेहता, अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन के मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा, शोभा यात्रा प्रभारी विनोद कुमार झा, डॉ गणेश कांत झा, दुर्गानंद झा, आशीष चौधरी, पुरुषोत्तम वत्स, नवल किशोर झा, गिरधारी झा, मनोज कुमार झा, चंद्र मोहन झा आदि भी मौजूद थे। मौके पर डॉ बैजू ने कहा कि समस्त मिथिला वासी के लिए यह हर्ष का विषय है कि ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में प्रो0 सुरेंद्र प्रताप सिंह का कार्यकाल न सिर्फ विश्वविद्यालय के सर्वांगीण विकास का एक नया कीर्तिमान गढ़ रहा है, बल्कि मिथिला एवं मैथिली के उन्नयन में भी स्वर्णिम काल साबित हो रहा है। उनके कुशल नेतृत्व में एक तरफ जहां पठन-पाठन में मैथिली के नवयुग का संचार हो रहा है वहीं, दूसरी ओर उनके कृत्य से मिथिला के महान विभूतियों के सम्मान भाव में उत्तरोत्तर वृद्धि के साथ पारंपरिक मैथिली और इसके संरक्षण एवं संवर्धन के लिए कृतसंकल्प विभिन्न सेवा संस्थान नित्य नई ऊर्जा प्राप्त करने में सक्षम साबित हो रहे हैं।

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उन्होंने कहा कि यह कुलपति प्रो0 सिंह की सदाशयता का ही परिणाम है कि उनके मुख्य संरक्षण में विद्यापति सेवा संस्थान के तत्वावधान में आयोजित 49वां मिथिला विभूति पर्व समारोह न सिर्फ ऐतिहासिक रूप में संपन्न हुआ, बल्कि हाल ही में उत्तर प्रदेश के श्रीअयोध्याधाम में आयोजित किया गया 19 वां अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन अनेक साहित्यिक एवं सांस्कृतिक उपलब्धियों से परिपूर्ण होकर मिथिला व अवध के पुरातन संबंध को और भी मधुरतम बनाने में कामयाब रहा।

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