बार बार डीएमसीएच का ओपीडी ठप्प होने से भड़कने लगा मरीजों एवं परिजनों का गुस्सा।
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दरभंगा: डॉक्टर को धरती का भगवान कहा जाता है। पर जब बात पैसे की आये तो शायद शैतान भी इनके सामने शर्मा जाता है। मरीज मरता रहे, इन्हें कोई फर्क नही पड़ता। डॉक्टर बनने के बाद यदि डॉक्टर इंसानियत भूले और पैसे की भूख को प्राथमिकता दे, ये तो अक्सर दिखता है। पर डॉक्टर बनने के राह पर अग्रसर डीएमसीएच के एमबीबीएस इंटर्न भी अपने शुरुआती कैरियर में ही खुद के स्वार्थ के खातिर पत्थर दिल बनने का अच्छा अभ्यास कर रहे हैं।
दरअसल, डीएमसीएच में इंटर्नशिप कर रहे चिकित्सक स्टाइपेंड में नियमानुसार वृद्धि ना होने के चलते आक्रोशित है और इसी कारण से उन्होंने ने सोमवार को साढ़े तीन घंटों तक ओपीडी ठप रखा था। फिर जब प्राचार्य और अधीक्षक ने संयुक्त रूप से इस संबंध में स्वास्थ्य सचिव से वार्तालाप करने का आश्वासन दिया तो इनकी हड़ताल समाप्त हुई थी। फिर दूसरे दिन मंगलवार को 15 मिनट बंद रहने के बाद गेट खुल गया था। इसी उम्मीद से बुधवार को भी दूर दराज के जिलों से मरीज डीएमसीएच पहुंचे। पर तीन घण्टे से अधिक तक ओपीडी नही खुलने के बाद मरीज एवं उनके परिजनों का गुस्सा भड़क गया। वे डीएमसीएच एडमिनिस्ट्रेशन के खिलाफ गुस्से का इजहार भी कर रहे थे।
साथ ही लोगो का कहना था कि डॉक्टरों की लड़ाई वेतन वृद्धि को लेकर है तो वे हड़ताल प्रदर्शन करके सरकार से मांग करें। पर मरीजों को क्यों तकलीफ दे रहे हैं! मरीजों का इलाज नही रोकना चाहिए।
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