एसआई द्वारा रिश्वत लेने की शिकायत का समाचार प्रसारित होने के बाद सामने आये तथ्यों ने मामले को बनाया संदिग्ध!
दरभंगा: सोमवार को एसएसपी के जनता दरबार में सिंहवाड़ा थाना के एसआई अशोक सिंह पर जमीनी मामले में रिश्वतखोरी के आरोप की शिकायत का समाचार वॉयस ऑफ दरभंगा द्वारा प्रसारित करने पर इसका दूसरा पक्ष भी सामने आया है। सामने आये दूसरे पक्ष द्वारा जो तथ्य रखे गए हैं, उसके अनुसार आरोप लगाने वाले युवक के दावे को गलत बताया गया है।
पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार युवक द्वारा जिस मामले का जिक्र किया गया है, उस मामले के अनुसंधानक एएसआई सत्येंद्र पासवान को बनाया है। साथ ही युवक द्वारा 23 नवंबर को थाना में आवेदन देने की बात सामने आयी है, जबकि वीडियो 19 नवंबर का है। इन तथ्यों के आधार पर आरोप को गलत बताया जा रहा है।
दरअसल, सोमवार को सिंहवाड़ा थानाक्षेत्र के भगवतीपुर निवासी प्रह्लाद कुमार शर्मा ने सोमवार को एसएसपी के जनता दरबार मे एक आवेदन देकर जमीनी मामले में एसआई अशोक सिंह द्वारा रिश्वत लेकर उसके विपक्षी के पक्ष में कार्य करवाने का आरोप लगाया था। साथ ही जब वह थाना पर आवेदन लेकर गया तो थानाध्यक्ष द्वारा एक लाख रुपये मांगने का भी उसने आरोप लगाया। आरोप के साथ साथ उसने 19 नवम्बर का एक सीसीटीवी फुटेज भी उपलब्ध करवाया था जिसमें दावा किया गया था कि एसआई अशोक सिंह उसके विपक्षी से पैसे ले रहे थे।
मामला सामने आने पर जनता दरबार में मौजूद ट्रैफिक डीएसपी बिरजू पासवान ने शिकायत मिलने की पुष्टि करते हुए इसकी जांच कमतौल अंचल निरीक्षक से करवाने की बात कही थी।
इस आशय का समाचार वॉयस ऑफ दरभंगा द्वारा प्रमुखता से प्रसारित किया गया था। हालांकि वीडियो की पुष्टि वॉयस ऑफ दरभंगा द्वारा नहीं की गई थी और सत्यता जांच के बाद ही प्रमाणित होने की बात कही गयी थी।
समाचार प्रसारित होने के बाद कुछ नए तथ्य सामने आये हैं जिनमे आरोप के गलत होने का दावा किया गया है। आरोपों के गलत होने का पहले दावे का आधार 23 नवंबर को थाना में आवेदन मिलने और वीडियो 19 नवंबर का ही होने का बताया गया है। ऐसे में 23 नवंबर को थाना पर आने वाले मामले में एसआई द्वारा 19 नवम्बर को रिश्वत लेने की बात संदिग्ध बतायी जाती है।
वहीं इस मामले में थानाध्यक्ष मनीष कुमार ने बताया कि 23 नवंबर को आवेदन मिलने के बाद तत्काल जमीन पर काम रुकवा दिया गया। साथ ही कांड अनुसंधानक एएसआई सत्येंद्र पासवान को बनाया गया।
थानाध्यक्ष द्वारा दी गयी जानकारी के आधार पर कांड का अनुसंधानक नहीं होने के बाबजूद अशोक सिंह को उस मामले में विपक्षी द्वारा रिश्वत क्यों दिया जाएगा, इस आधार पर भी आवेदक का दावा संदेह के घेरे में बताया गया है।
इन तथ्यों के सामने आने के बाद निश्चित ही मामले की गहन जांच और अधिक आवश्यक हो ग़यी है।
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