जदयू के मुसलमान नेताओं को सामूहिक इस्तीफा देने पर करना चाहिए विचार : जमाल हसन।
दरभंगा: जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह का बयान, जिसमें उन्होंने कहा कि मुसलमान नीतीश कुमार को वोट नहीं करते है को लेकर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के राष्ट्रीय महासचिव डॉ जमाल हसन ने प्रेस बयान जारी कर कड़े शब्दों में निंदा की है।
साथ ही केंद्रीय मंत्री ललन सिंह को अपने इस बयान के लिए माफी मांगने को कहा। डॉ० हसन ने कहा कि जेडीयू के नेताओं की यादाश्त ज्यादा ही कमजोर हो गई है कि इतने सालों से बिहार में जो उनकी सरकार चल रही है तो मुसलमान का भी वोट उनको मिला है, ललन सिंह का यह बयान न केवल विवादास्पद है बल्कि यह भारतीय राजनीति में धर्म और जाति आधारित बयानबाजी की एक चिंताजनक प्रवृत्ति को भी दर्शाता है। ऐसे बयान समाज में विभाजन और असंतोष को बढ़ावा देते हैं, खासकर जब वे संवेदनशील मुद्दों पर आधारित होते हैं। यह पहली बार नहीं है जब जेडीयू के किसी नेता ने मुसलमानों को लेकर विवादास्पद टिप्पणी की हो। अतीत में भी, पार्टी के कई नेताओं ने इस समुदाय पर कटाक्ष किया है, जो यह दर्शाता है कि पार्टी के भीतर कुछ लोगों की सोच अब भी सामुदायिक ध्रुवीकरण के पुराने और गैर-प्रगतिशील विचारों से प्रभावित है।
डॉ० हसन ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि हालांकि जेडीयू औपचारिक रूप से सेक्युलर राजनीति का समर्थन करती है, लेकिन भाजपा के साथ उसके लंबे राजनीतिक संबंधों ने उसकी विचारधारा पर गहरा प्रभाव डाला है। भाजपा की राजनीति, जो अक्सर हिंदुत्व के मुद्दों पर केंद्रित रही है, का असर जेडीयू के कुछ नेताओं की बयानबाजी में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। ललन सिंह का यह बयान उन मुसलमान नेताओं के लिए विशेष चुनौती पेश करता है जो जेडीयू में हैं। यदि ऐसे बयानों के बावजूद वे पार्टी में बने रहते हैं, तो इससे उनकी समुदाय के प्रति प्रतिबद्धता पर सवाल उठ सकते हैं।
डॉ० हसन ने कहा कि नीतीश कुमार, जो खुद को “सर्वधर्म संभाव” और सामाजिक न्याय का पक्षधर बताते रहे हैं, को भी इस मसले पर स्पष्ट रुख अपनाने की आवश्यकता है। उनकी चुप्पी या अनदेखी केवल पार्टी के भीतर मौजूद विभाजनकारी प्रवृत्तियों को और बढ़ावा देगी। यह उनके नेतृत्व की साख पर भी सवाल खड़े कर सकती है, खासकर तब जब बिहार के मुसलमान, जो राज्य की आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, उनके शासन में सुरक्षित महसूस करने की उम्मीद रखते हैं। जेडीयू और भाजपा के संबंधों की पृष्ठभूमि में यह बयान विश्लेषण के योग्य है। भाजपा की सामुदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति का प्रभाव जेडीयू के कुछ नेताओं पर बना हुआ है, जिससे इस तरह के बयान उभरते हैं। जेडीयू के मुखिया नीतीश कुमार अपने नेताओं को जिम्मेदार बयानबाजी के लिए प्रेरित करे और पार्टी की विचारधारा को स्पष्ट करे क्योंकि ऐसे बयान लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को खतरे में डालते हैं। जेडीयू के मुसलमान नेताओं को सामूहिक इस्तीफा देने जैसे कड़े कदमों पर विचार करना चाहिए।
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