उत्तर बिहार के सबसे बड़े अस्पताल डीएमसीएच में घंटे भर तक अंधेरे में होता रहा मरीजों का ईलाज।
दरभंगा: जिस दरभंगा में एम्स निर्माण और बड़ी बड़ी परियोजना के शुरू होने का दावा किया जा रहा है, वहां पहले से मौजूद उत्तर बिहार के सबसे अस्पताल डीएमसीएच की बदहाली इस दावों की पोल खोलती नजर आती है। रविवार को बिजली की आंख मिचौली जारी रही। ऐसे में डीएमसीएच के इमरजेंसी विभाग में भी ब्लैक आउट दिखा। दिन के 10 बजे करीब घंटे भर तक बिजली गुल रही और इस बीच गंभीर मरीजों का इलाज एवं पुर्जा आदि मोबाइल टॉर्च की रौशनी में लिखा जाता रहा। सबसे बड़ी बात कि इस अवधि में जेनेरेटर भी चालू नहीं किया गया।
बताया जाता है कि सुबह करीब 10 बजे इमरजेंसी विभाग की बिजली अचानक गुल हो गई। उस समय मेडिसिन परीक्षण कक्ष में करीब 10 और सर्जरी-आर्थोपेडिक परीक्षण कक्ष में छह मरीजों का उपचार चल रहा था। चारों तरफ से बंद कमरे में बिजली कटने से अंधेरा छा गया। मोबाइल टॉर्च की रौशनी में नर्सों ने मरीजों को इंजेक्शन दिया। बताया जाता है कि अंधेरे में चिकित्सकों मरीजों की जांच रिपोर्ट, एक्सरे आदि देखने में भारी असुविधा हुई।
करीब 11:15 बजे जब बिजली की रौशनी हुई। तब जाकर चिकित्सकों और मरीजों ने राहत की सांस ली। बता दें कि डीएमसीएच में बिजली की आंखमिचौनी लंबे समय से चल रही है जबकि यहां वैकल्पिक बंदोबस्त के तौर पर जेनरेटर सेवा देने की जिम्मेवारी एजेंसी को मिली हुई है। उसे प्रतिमाह लाखों का भुगतान भी किया जा रहा है। बिजली गुल होने के दौरान जेनरेटर नहीं चलाया गया।
वहीं डीएमसीएच के उपाधीक्षक हरेंद्र कुमार ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बिजली समस्या के स्थायी निदान के लिए डीएमसीएच का ग्रिड अलग बनाने की कोशिश हो रही है। घंटेभर बिजली कटने पर जेनरेटर क्यों नहीं चालू हुआ, इसकी जांच कर आवश्यक कारवाई की जाएगी।
निर्मला सीतारमण के कार्यक्रम को लेकर बदला ट्रैफिक रूट, पार्किंग स्थल का हुआ चयन।
दरभंगा: शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की कार्यक्रम विश्वविद्यालय थाना क्षेत्…