Home Featured मिथिला मखाना ने विश्व के मानचित्र पर बनाई प्रतिष्ठा : सांसद।
3 weeks ago

मिथिला मखाना ने विश्व के मानचित्र पर बनाई प्रतिष्ठा : सांसद।

दरभंगा: सांसद डॉ. गोपालजी ठाकुर ने कहा कि मिथिला के मखाना ने दरभंगा सहित समूचे मिथिला को विश्व मानचित्र पर एक बार फिर से प्रतिष्ठित किया है। इस चमत्कारिक जलीय फसल में उत्तर बिहार की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था में क्रांति ला देने की पूरी क्षमता है तथा अब मखाना की खेती तथा इसके ग्लोबिंग मार्केटिंग के माध्यम से करोड़ों लोगों को रोजगार मुहैया होगी। सांसद अपने आवासीय कार्यालय में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली के सहायक महानिदेशक डॉ. के. नरसैया तथा राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र, दरभंगा के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. मनोज कुमार के साथ बैठक के क्रम में विचार व्यक्त कर रहे थे। डॉ. नरसैया ने जानकारी दी कि मखाना एवं मखाना आधारित उत्पादों की बढती राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मांग उत्तर बिहार की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के लिए वरदान साबित हो सकती है। विश्व के कुल मखाना उत्पादन में बिहार का योगदान लगभग 80 प्रतिशत है। मखाना की खेती एवं प्रसंस्करण में किसानों व उद्यमियों की बढती रूचि, बेहतर आमदनी की सम्भावना, सकारात्मक नीतियाँ, एवं राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र दरभंगा के शोध एवं प्रसार प्रयासों के कारण पिछले पाँच वर्षों में मखाने की खेती का विस्तार तेजी से हुआ है। पांच वर्ष पहले तक मखाने की खेती लगभग 15 हजार हेक्टेयर में होती थी जो अब 30 से 35 हजार हेक्टेयर में होती है। इसकी उत्पादकता इस दौरान 14-16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 20-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक बढ़ गई है। प्रति हेक्टेयर आमदनी 50-60 हजार रुपये से बढ़कर 1.5 से दो लाख तक अनुमानित है। मखाना किसानों और उद्यमियों की संख्या भी अप्रत्याशित रूप से बढ़ी है। बिहार के दरभंगा जिले में मखाना की खेती से 1 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर से 3 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर तक की आमदनी देखी गई है। दरभंगा स्थित मखाना अनुसंधान केंद्र को राष्ट्रीय दर्जा प्राप्त होने के साथ ही संस्थान में शोध के लिए जरूर आधारभूत संरचनाओं का विकास तेज हो गया है। विकासात्मक कार्यों के लिए फण्ड की उपलब्धता बढ़ी है साथ ही वैज्ञानिकों की संख्या भी बढ़ी है। मिथिला के किसानों व उद्यमियों के साथ साथ पूरे देश में मखाने के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से आगामी 17 अक्टूबर को मखाना अनुसंधान केंद्र में एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन होना है तथा आश्विन शुक्ल पूर्णिमा कोजागरा के दिन हर साल अक्टूबर महीने में राष्ट्रीय मखाना दिवस मनाया जाएगा। इस अवसर पर जनप्रतिनिधि, दर्जनों मखाना खेती एवं उद्यमी मौजूद थे।

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