Home Featured मनसा वाचा व कर्मणा योग को अपनाने से समाज का कल्याण संभव : प्रो जीवानंद।
September 14, 2019

मनसा वाचा व कर्मणा योग को अपनाने से समाज का कल्याण संभव : प्रो जीवानंद।

दरभंगा:योग की परंपरा आदिकाल से ही रही है।इसको अपनाने से हम न केवल शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ रहते हैं,बल्कि मोक्ष भी प्राप्त कर सकते हैं।योग हमें मन पर नियंत्रण और माया-मोह से मुक्ति कर सर्वोत्तम मानव बनाता है।इससे हमारे अंदर योग्यता का विस्तार भी होता है।उक्त बातें श्री लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ,नई दिल्ली के सांख्य-योग विभागाध्यक्ष डॉ मार्कंडेय नाथ तिवारी ने संस्कृत विभाग,सी एम कॉलेज,दरभंगा तथा भारत विकास परिषद् विद्यापति शाखा,दरभंगा के संयुक्त तत्त्वावधान में सेमिनार हॉल में योग का स्वरूप एवं उसकी प्रासंगिकता विषयक राष्ट्रीय सेमिनार में मुख्य अतिथि के रूप में कहा। उन्होंने कहा कि मानव जीवन की अधिकांश समस्याओं का निदान योग के माध्यम से संभव है। हमारे अंदर लोभ, क्रोध,भय, ईर्ष्या तथा धृणा का भाव योग से समाप्त होता है। योग से सामाजिक सद्भाव बढ़ता है। दीप प्रज्वलित कर सेमिनार का उद्घाटन करते हुए विश्वविद्यालय संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रोफेसर जीवानंद झा ने कहा कि योग के द्वारा हम शरीर के अंगों तथा सांसों पर नियंत्रण प्राप्त करते हैं।यम,नियम,आसन, प्राणायाम,प्रत्याहार,धारणा, ध्यान तथा समाधि नामक अष्टांग योग को अपनाकर शरीर,मन व प्राण की शुद्धि से परमात्मा की प्राप्ति कर सकते हैं। मनसा,वाचा व कर्मणा योग को अपनाने से ही समाज का कल्याण तथा राष्ट्र की उन्नति संभव है। अध्यक्षीय संबोधन में प्रधानाचार्य डॉ मुश्ताक अहमद ने कहा कि योग के माध्यम से हमने विश्व को बेहतर जीवन जीने की सीख दी है।इसका महत्व सभी समाज के लिए समान रूप से है।नमाज भी योग सदृश्य होते हैं।यह हमें प्रकृति से जोड़ता है,जिसके द्वारा मानवीय मूल्यों की भी स्थापना होती है। योग भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है।योग को अपनाकर हम आतंकवाद, नक्सलवाद,जातिवाद जैसी समस्याओं का निदान कर सकते हैं।आज योग रोजी-रोजगार का भी बड़ा साधन बनता जा रहा है। सम्मानित अतिथि के रूप में भारत विकास परिषद् , उत्तर बिहार के महासचिव राजेश कुमार ने कहा कि योग हमारे शरीर को न केवल स्वस्थ व विकसित करता है,बल्कि संस्कारित भी करता है।इसे जीवन में अपनाने से हम मन, वचन और बुद्धि से स्वच्छ एवं स्वस्थ होते हैं।योग हमारे व्यक्तित्व में निखारता है तथा आत्मविश्वास में वृद्धि लाता है। विशिष्ट अतिथि के रूप में अंग्रेजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर इन्दिरा झा ने कहा कि शरीर, मन और आत्मा का एकीकरण ही योग है।यह हमारे शरीर और मन को स्वस्थ रखता है।योग आत्मा से परमात्मा का एकात्म स्थापित कराकर हमें जन्म- मृत्यु के बंधन से मुक्त करता है।योग का व्यवसायीकरण दुःखद है।यह सरल,सहज तथा सस्ता चिकित्सा माध्यम है।
मुख्य वक्ता के रूप में परिषद् के पूर्व अध्यक्ष अनिल कुमार ने कहा कि मानव शरीर में 90% शक्तियां सुषुप्तावस्था में होती हैं। योग के माध्यम से उन्हें जागृत किया जा सकता है।योग हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है तथा ध्यान एकाग्र करना सिखाता है।हमें योग का अभ्यास प्रशिक्षित योगाचार्य के निर्देशन में ही करना चाहिए,अन्यथा लाभ की जगह हानि हो सकती है। योग विशेषज्ञ डॉ निर्भय शंकर भारद्वाज ने कहा कि योग किसी धर्म या खास संस्कृति से जुड़ा नहीं है, बल्कि पूरे मानव जाति के कल्याण के लिए है।योग साधन और साध्य दोनों है। नमाज में 12 आसनों का प्रयोग होता है,जिससे मानसिक स्थिरता आती है। योग कर्म में कुशलता तथा सफलता दिलाता है।मैथिली विभागाध्यक्ष डॉ नारायण झा ने कहा कि योग से हम स्वस्थ एवं लंबी जिंदगी जी सकते हैं।यह हमारी जीवनशैली एवं व्यवहार को सुचारू बनाता है। लगमा संस्कृत महाविद्यालय के सर्वदर्शन विभाग के शिक्षक डॉ सच्चिदानंद स्नेही आदि ने भी संबोधित किया।इस अवसर पर डॉ जिया हैदर,डॉ एकता श्रीवास्तव,प्रोफेसर नथनी यादव,प्रो ऋतिका मौर्य, डॉ विद्या शर्मा,प्रो रागिनी रंजन,डॉ शंकर झा, प्रो प्रेरणा कुमारी, डॉ अमरेंद्र शर्मा,डॉ प्रेम कुमारी,डॉ कुमार अनुराग,डॉ अनुपम कुमार सिंह,डॉ शशांक शुक्ला,डॉ चंदा कुमारी, डॉ संजीव कुमार,प्रो विद्यानंद झा आदि सहित एक सौ से अधिक शिक्षक, शोधार्थी, विद्यार्थी उपस्थित थे। कार्यक्रम में जयशंकर झा, रोहित कुमार,प्रशांत कुमार, पूजा कुमारी, रागिनी कुमारी, अमरजीत कुमार,मो असलम, हरिओम झा आदि ने सक्रिय सहयोग किया।सभी प्रतिभागियों को आयोजकों द्वारा प्रमाण पत्र प्रदान किया गया।कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत पाग, चादर,स्मृतिचिह्न एवं पुष्पगुच्छ से किया गया। अतिथियों का स्वागत परिषद् के अध्यक्ष प्रोफेसर रामानंद यादव ने किया।संस्कृत विभागाध्यक्ष एवं परिषद् के सचिव डॉ आर एन चौरसिया के संचालन में आयोजित कार्यक्रम में डॉ प्रदीप तिवारी ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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