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September 14, 2019

हिंदी दिवस को राष्ट्रीय पर्व घोषित करे सरकार: डॉ पारसमणि।

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दरभंगा: किरतपुर प्रखण्ड के रासियारी ग्राम निवासी पेशे से शिक्षक एवं सामाजिक कार्यकर्ता डॉ0 पारस मणि ने 14 सितंबर हिंदी दिवस को राष्ट्रीय पर्व घोषित करने की मांग की है। डॉ0 पारस मणि गीतकार भी हैं और कई गीतों की रचना भी है। साथ ही साथ साहित्यकार के रूप में भी इनकी अपनी छवि है। हिंदी दिवस पर वॉयस ऑफ दरभंगा से विशेष वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि किसी भी भाषा के सामर्थ्य का निकस, उसके द्वारा किसी संस्कृति की व्याख्या और व्याख्या की संभावना के परिमाण ही कहना चाहिए । जहाँ की संस्कृति जितनी गूढ़ होगी, वहाँ की भाषा उतनी ही गूढ़ अभिव्यक्ति – कौशल और सामर्थ्य से युक्त होगी l हमारे भारत की संस्कृत अत्यंत गूढ़ है, अतः इसकी संवाहिका होने के नाते हमारी हिन्दी उसी परिमाण में गूढ़तम अभिव्यक्ति के सामर्थ्य से युक्त है ।
ऐसा कहना सर्वथा समीचीन है कि किसी भी संस्कृति की पूर्ण- व्याख्या करने में जितना सामर्थ्यशालिनी हिन्दी है, उतना आज के परिप्रेक्ष्य में कोई भी अन्य विश्व – भाषा नहीं ।
प्राचीन भारतीय भाषाएँ जहाँ इसको माता का स्नेह दिया, वहीं समकालीन और उत्तरवर्ती भाषाएँ हमजोलियाँ बनकर इसे आकर सदृश शक्तिशालिनी बना रहीं हैं ।
भूमंडलीकरण के इस अभिनव दौर में विश्व की अन्यान्य भाषाओं के शब्दों और भाव – भंगिमा एवं अनुवाद – कौशल को आत्मसात करने की अनूठी शैली हिन्दी के पास है l जरूरत है तो बस साहित्य, स्वरूप और प्रयोजनमूलक चेतना की ।
किसी भाषा के विकास के मार्ग में आने वाली चुनौतियों का सामना तो भाषा – भाषियों को लगन और मेहनत से करना ही पड़ता है l
आज के ही दिन 14 सितंबर को 1949 ई. में हिंदी भारतीय संविधान द्वारा राजभाषा के रूप में प्रतिष्ठित हुई थी l तबसे हम इस तिथि को हिन्दी दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं l इस पुनीत तिथि को राष्ट्रीय पर्व की प्रतिष्ठा मिलनी चाहिए । हिन्दी का भारत देश में आत्मगत महत्व है ,।आत्मगत इसलिए कि भारत की आत्मा का एक अन्यतम अलंकार हिन्दी हीं है।
सभी भारतीय नागरिकों द्वारा परिवार से लेकर अंतरराष्ट्रीय मंच तक हिन्दी के अबाध प्रयोग, नित नए से लेकर चिर पुरान संस्कारों पर आधरित साहित्य- सर्जन और अन्य उन्नत भाषा – साहित्य के समानांतर विकास की गति सब हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी के लिए आवश्यक है।
डॉ. पारस मणि ने दृष्टि और श्रवण की दीर्घा में आए और आने वाले सभी हिंदी – प्रेमियों को हिन्दी – दिवस को राष्ट्रीय पर्व की प्रतिष्ठा केलिए ईश्वर से प्रार्थना करने का आग्रह करते हुए कहा कि इसके लिए आपके स्वर में अपना स्वर समाहित करता हूँ ।

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