Home Featured पहाड़ से लेकर सागर की गहराई तक भारत अपने भूमि की रक्षा करना जानता है: प्रो. मुनेश्वर यादव।
January 9, 2024

पहाड़ से लेकर सागर की गहराई तक भारत अपने भूमि की रक्षा करना जानता है: प्रो. मुनेश्वर यादव।

दरभंगा: मंगलवार को विश्वविद्यालय राजनीति विज्ञान विभाग में “भारत की उभरती भूराजनीति” विषय पर एक महत्वपूर्ण व्याख्यान विभागाध्यक्ष प्रो. मुनेश्वर यादव की अध्यक्षता में हुआ।

बतौर मुख्य अतिथि बृजमोहन लाल मुंजाल विश्वविद्यालय के रिसर्च एट द स्कूल ऑफ लॉ के संकायाध्यक्ष प्रो. प्रभाकर सिंह ने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है। भारत की विदेश नीति व भूराजनीति का कोई तोड़ नहीं है। कल तक जो चीन हमें आंख दिखाने का कार्य करता था और हमारे क्षेत्र को कब्जाने का काम करता था आज पीएम मोदी की कूटनीति के आगे चीन को घुटने टेकना पड़ रहा है और चीनी ड्रैगन को उल्टे पांव भागना पड़ रहा है। आज पाक अधिकृत कश्मीर से लेकर गिलगिट व बलूचिस्तान तक भारत माता का नारा लगता है। वो दिन दूर नहीं जब किसी दिन आपको सुनने को मिल सकता है कि पीएम मोदी के भूराजनीति के बल पीओके पुनः भारत का हिस्सा हो गया। आगे उन्होंने इस पर विस्तार से प्रकाश डाला।

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अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में विभागाध्यक्ष प्रो. मुनेश्वर यादव ने कहा कि भारत आजतक किसी की भूमि को कब्जाने का कभी कार्य नहीं किया है और जो भारत की भूमि पर टेढ़ी नजर रखता है उसे माकूल जवाब देना भी जानता है। आज पाकिस्तान हो या चीन, सब थरथर कांपता है कि भारत को अगर छेड़ा तो फिर भारत छोड़ेगा नहीं। जब 20 वीं सदी के भारत ने अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिये मजबूर कर दिया फिर यह तो 21 वीं सदी का तीसरा दशक है जब दुनिया के महाशक्तियों को भारत ने अपना पराक्रम दिखाते हुए चांद के दक्षिणी धुव्र पर एकमात्र अपने चंद्रयान को लैंड करा दिया। अब भारत जमीन से लेकर आसमान तक व पहाड़ से लेकर सागर की गहराई तक अपना रक्षा करना जानता है।

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मिथिला विश्वविद्यालय के उप-परीक्षा नियंत्रक(तकनीकी व व्यावसायिक शिक्षा) सह विभाग के युवा व्याख्याता डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि भारत विश्व की उभरती हुई महाशक्ति में से एक है। आकाश से लेकर पाताल तक, समुद्र से लेकर चोटी तक अगर कोई भारत को आंख दिखाने का कार्य करने की हिमाकत करता है तो भारत उसके साथ आंख में आंख मिलाकर जवाब देना जानता है। इसे कोई भारत की कमजोरी समझने की भूल न करें। अगर पीएम मोदी किसी राष्ट्राध्यक्ष के साथ झूला पर झूलते हुए बैठकर चाय पर चर्चा कर रहें हों तो इसे भारत की कमजोरी समझने की भूल मत करें। वसुधैव कुटुंबकम व अतिथि देवो भवः भारत का संस्कार है। उसे भारत किसी भी विषम परिस्थितियों में वो सम्मान देगा ही जिसके वो हकदार है। भारत युद्ध में नहीं बल्कि भगवान बुद्ध में विश्वास रखता है। लेकिन अगर भारत के भू पर कोई गलती से भी विस्तारवादी नीति का सोचे और आगे बढ़कर छेड़ने का काम करें तो भारत पहले उसे शास्त्र से समझाता है और न समझने पर उसे शस्त्र से भी समझाने का माद्दा रखता है और छोड़ता भी नहीं है। भारत अब मजबूर नहीं मजबूत देश है। यह पैगाम दुनिया तक पहुंच गया है। इसीलिए चीन जैसे विस्तारवादी नीति को फॉलो करने वाला देश भी अब भारत से कोसों दूर ही रहना पसंद करता है जिसका उदाहरण आपलोग आये दिन देखते ही रहते हैं।

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इस व्याख्यान में गंगेश झा, रघुवीर कुमार रंजन , मारवाड़ी महाविद्यालय के सेवानिवृत्त शिक्षक डॉ. अलख निरंजन सिंह सहित कई वक्ताओं ने अपना-अपना महत्वपूर्ण विचार छात्र-छात्राओं व शोधार्थियों के साथ साझा किया। मंच संचालन शोध छात्र अमिनेश ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन उप-परीक्षा नियंत्रक डॉ. मनोज कुमार ने किया।

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