Home Featured रक्तदान से मन को सुकून एवं संतुष्टि मिलती है : डॉ राजरंजन प्रसाद।
September 22, 2019

रक्तदान से मन को सुकून एवं संतुष्टि मिलती है : डॉ राजरंजन प्रसाद।

दरभंगा:रक्तदान हमारी मानवीय संवेदना का प्रतीक है।इसके लिए दृढ़ इच्छाशक्ति तथा उत्साह आवश्यक है। सेवाभावी और संवेदनशील व्यक्ति रक्तदान की ओर स्वत: प्रवृत्त होते हैं।रक्तदान से मरणासन्न व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है।रक्त का कृत्रिम निर्माण नहीं किया जा सकता है।हिमोफीलिया, थैलेसीमिया,दुर्घटना, ऑपरेशन तथा प्रसव के समय रक्त चढ़ाने की विशेष जरूरत होती है,जो स्वैच्छिक रक्तदान से ही संभव है।उक्त बातें डीएमसीएच,दरभंगा के अधीक्षक डॉ राज रंजन प्रसाद ने एचडीएफसी बैंक, दरभंगा प्रायोजित एवं एपैक्स फाउंडेशन, दरभंगा तथा भारत विकास परिषद् , विद्यापति शाखा, दरभंगा के संयुक्त तत्त्वावधान में पश्चिम दिग्घी में आयोजित स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन करते हुए कहा।उन्होंने कहा कि अभी रक्तदान के प्रति लोगों में कुछ गलत एवं भ्रामक सोच है,जिसे ऐसे आयोजनों एवं जन- जागरूकता के माध्यम से दूर किया जाना आवश्यक है। मुख्य अतिथि के रूप में विश्वविद्यालय वाणिज्य विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो बीबीएल दास ने कहा कि रक्तदान मानव का मानव के प्रति उत्कृष्ट सेवा है। इससे बड़ी सेवा दूसरी नहीं हो सकती,जो मानवता की रक्षा करती हो। इस रचनात्मक सामाजिक कार्य हेतु दोनों आयोजक संस्थाएं धन्यवाद के पात्र हैं।
सम्मानित अतिथि के रूप में परिषद् के उत्तर बिहार शाखा के महासचिव राजेश कुमार ने कहा कि रक्तदान से हमें अनेक लाभ होते हैं।इससे हमारे शरीर में रक्त-निर्माण की गति तीव्र हो जाती है तथा हमें शरीर की कई बीमारियों- एड्स,मलेरिया,हेपेटाइटिस- बी व सी आदि का स्वत: पता भी चल जाता है। विशिष्ट अतिथि के रूप में आर एन कॉलेज,पंडौल के वाणिज्य विभागाध्यक्ष प्रो एस के शर्मा ने कहा कि दूसरों के लिए जीना ही वास्तविक जीवन है। मानवीय संवेदना के बिना आर्थिक उन्नति बेमानी है।हम क्या हैं, यह महत्वपूर्ण नहीं, बल्कि हम दूसरों के लिए क्या कर रहे हैं,यह अधिक महत्वपूर्ण है।
विशिष्ट अतिथि के रूप में विश्वविद्यालय संस्कृत विभाग के प्राध्यापक डॉ जयशंकर झा ने कहा कि रक्तदान से समाज को सकारात्मक संदेश मिलता है तथा रक्तदाता को मनोवैज्ञानिक संतुष्टि मिलती है। यह पीड़ित मानवता के लिए बड़ा कार्य है। विषय प्रवर्तक के रूप में परिषद् के सचिव डॉ आर एन चौरसिया ने कहा कि 18 से 65 वर्ष के प्रत्येक स्वस्थ व्यक्ति हर 4 महीने में एक बार रक्तदान कर सकते हैं। इससे शरीर स्वस्थ एवं मन प्रसन्न रहता है।रक्तदान समाजसेवा का सर्वोत्तम माध्यम है।शरीर में रक्त सघनता के लिए चुकंदर,हरी सब्जी,साग-पात,फल आदि का सेवन अधिक मात्रा में करना चाहिए।इस अवसर पर 28 बार के रक्तदाता डॉ मुकेश कुमार निराला ने कहा कि मानव जीवन दूसरों की भलाई के लिए सदा काम आना चाहिए।
अध्यक्षीय संबोधन में आर एन कॉलेज,पंडौल के प्रधानाचार्य प्रोफेसर विभूति भूषण झा ने कहा कि समाज के लिए रक्तदान सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। लोग इस ओर अग्रसर होकर समाज का कल्याण कर सकते हैं। आगत अतिथियों का स्वागत एपैक्स के अध्यक्ष डॉ के के चौधरी ने,संचालन छोटे चौधरी तथा धन्यवाद ज्ञापन सचिव उज्ज्वल कुमार ने किया।इस अवसर पर डीएमसीएच से रक्त संग्रह समूह में डॉ एरन चांदनी, साकेत कुमार सिंह,अब्दुल खबीर तथा एचडीएफसी बैंक दरभंगा के मुकेश कुमार झा आदि उपस्थित थे।स्वयंसेवक के रूप में उत्तम कुमार झा, शारदानंद झा,मुरारी चौधरी आदि ने सक्रिय योगदान किया।
आज रक्तदान करने वालों में उज्ज्वल कुमार,अजीत कुमार झा,शंभू झा,राजेश कुमार,प्रकाश कुमार झा, डॉ के के चौधरी, रामप्रकाश रमण,  दिलीप महासेठ,जीवछ प्रसाद सिंह, रघुवंश कुमार, उदय मंडल,  नंदन झा, अवनीश कुमार सिंह, निखिल कुमार झा, निखिल कुमार सिंह, दशरथ महतो, कुमार आयुष, रोहित कुमार,सुजीत कुमार मिश्रा, कुमार अजीत, मनोहर कुमार पाठक, कृष्ण मोहन राय, सुधांशु मिश्रा,  बलराम शर्मा, माधव कुमार मिश्रा, रवि शंकर कुमार महतो, रणधीर कुमार शर्मा, गोविंद चौधरी, पुरुषोत्तम झा, अंजू कुमारी,तपन कुमार,  डॉ राम कुमार झा,  चंदन कुमार, छोटे चौधरी तथा डॉ आर एन चौरसिया ने स्वैच्छिक रक्तदान किया। आयोजकों की ओर से सभी रक्तदाताओं को प्रमाण पत्र तथा उपहार प्रदान कर सम्मानित किया गया।

 

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