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May 22, 2019

कामेश्वर सिंह शोध संस्थान में रखे ऐतिहासिक पुस्तकों को देख भावुक हुए मुख्य न्यायाधीश एपी शाही

दरभंगा कार्यालय:-ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के महाराजा कामेश्वर सिंह शोध संस्थान (राज पुस्तकालय) में रखे ऐतिहासिक पुस्तकों को देख भावुक हुए मुख्य न्यायाधीश

व्यस्त कार्यक्रम के दौरान प्रोटोकॉल से हटकर घंटो किताबों में खोए रहे न्यायाधीश

विश्व के सर्वोत्तम एवं अद्वितीय संकलन के पुस्तकालयों में एक महाराजा कामेश्वर सिंह शोध संस्थान – अमरेन्द्र प्रताप शाही

दरभंगा। बिहार के मुख्य न्यायाधीश  ए.पी. शाही ने आज प्रातः 8 बजे ललित नारायण के ऐतिहासिक परिसर अपने व्यस्त कार्यक्रम के दौरान कामेश्वर नगर परिभ्रमन करने पहुंचे। इस दौरान उन्होंने विश्वविद्यालय मुख्यालय स्थित राज पुस्तकालय पहुंचे जहाँ कुलसचिव कर्नल निशीथ कुमार रॉय एवं पुस्तकालय के निर्देशक डॉ. भवेश्वर सिंह ने उनका स्वागत किया । श्री शाही ने ऐतिहासिक विभिन्न विषयों के पुस्तकों को देखा एवं लगभग 2 घंटो तक किताबों में खोए रहे । उन्होंने कहा कि ऐसा पुस्तकालय अगर पटना में होता तो मैं इसका दैनिक पाठक होता।
उन्होंने कहा कि इस ऐतिहासिक पुस्तकालय को भारत के जन-जन तक पहुंचाएं क्यों की यहाँ रखे गए ज्ञान बिहार को ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण भारत को ज्ञान की नई दिशा देने में लाभदायक होगा। उन्होंने कहा कि अगर 600करोड़ लगाकर पटना में बिहार म्युजीयम को बनाया जा सकता हैं तो राष्ट्रीय महत्व के पुस्तकालय के संरक्षण एवं संवर्द्धन हेतु व्यापक बजट का प्रावधान क्यों नही ?
उन्होंने आश्चर्य जनक रूप से प्रश्न किया कि क्या कोई जनसेवक का ध्यान इस ओर नही आया? जिनको भी ज्ञानरूपी गंगा का प्यास लगी हो उन तक इस पुस्तकालय का संदेश जरूर जाना चाहिये। उन्होंने भाव विभोर होकर कहा कि पुस्तकालय के इन दिवालों पर तुलसी दास की यह चौपाई लिख दीजिये की [highlight txtcolor=”#dd3333″]बड़े भाग मानुष तन पावा। सुर दुर्लभ सद् ग्रंथन्हि गावा।[/highlight]। समझनेवाले खुद ब खुद इस ज्ञानरूपी सागर में डूब जाएंगे । पुस्तकालय में दुर्लभ पुस्तकों के संकलन को देखकर वे अभिभूत हो उठे। साथ ही नेशनल आर्काइव्स ऑफ इंडिया एवं राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन, भारत सरकार,नई दिल्ली के तत्वावधान में हो रहे संरक्षण एवम् डिजिटाइजेशन कार्यों के बारे में जानकर उन्होंने प्रसन्नता जाहिर की। परियोजना सहायक श्री संतोष कुमार झा द्वारा पॉवर पॉइंट के माध्यम से पुस्तकालय एवं संस्थान की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि एवम् संरक्षण से संबंधित दी गई तथ्यात्मक प्रस्तुति को उन्होंने काफी सराहा तथा बेहतर रखरखाव एवम् संरक्षण की आवश्यकता पर बल दिया। हेरिटेज विशेषज्ञ संतोष कुमार ने दरभंगा के प्रति उनके लगाव के विषय मे पूछा तो उन्होंने कहा की तमकुही (यूपी) का संबंध दरभंगा से आज का ही नही है बल्कि मेरे ग्रेट ग्रैड फादर राजा इंद्रजीत प्रताप शाही एवं दरभंगा महाराज रामेश्वर सिंह एक दूसरे के घनिष्ट मित्र तो थे ही बल्कि तमकुही से महाराज कामेश्वर सिंह के उनके आखरी समय तक बेहतर सबंध बना रहा। राज पुस्तकालय के बाद वो गांधी सदन गए जहाँ उन्होंने महात्मा गांधी के मूर्ति पर माल्यर्पण कर सदन में लगाए गए गांधी के दुर्लभ चित्रों को देखा। मौके पर कुलपति प्रो. सुरेंद्र कुमार सिंह ने उन्हें विश्वविद्यालय के द्वारा हेरिटेज एवं पांडुलिपि संरक्षण पर किये जा रहे कार्य एवं आगामी होने वाले ऐसे ही कार्य के विषय मे अवगत कराया। मौके पर डा.भवेश्वर सिंह नें संरक्षण हेतु बननें वालें कमिटी में विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में माननीय मुख्य न्यायधीश महोदय से सहमति मांगी जिसे उनोह्ने सहर्ष स्वीकार किया । परिभ्रमन टीम में न्यायाधीश में साथ कुलसचिव कर्नल निशीथ कुमार रॉय के साथ साथ प्रो. विनय कुमार चौधरी, समाजसेवी, उज्ज्वल झा, संतोष कुमार आदि ने महत्वपूर्ण जानकारियों से अवगत कराया।

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