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May 24, 2019

छात्र संघ अध्यक्षा मधुमाला ने तोड़ी चुप्पी

दरभंगा कार्यालय :छात्र संघ अध्यक्ष मधुमाला ने कई दिनों बाद चुप्पी तोड़ते हुए प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि विश्वविद्यालय में जिस प्रकार पिछले कुछ समय से मेरे नामंकन और अध्यक्ष पद पर विवाद खड़ा किया जा रहा है, यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए ठीक नही हैं।ज्ञात हो की यह सारे आरोप राजनीति से प्रेरित है, और केवल बदनाम करने के उद्देश्य से किया जा रहा है। विश्वविद्यालय प्रशासन स्वयं सारे मुद्दों पर भ्रम में हैं। जिस नामंकन का आदेश विश्वविद्यालय, महाविद्यालय के पदाधिकारी स्वयं देते है आखिर खुद के फैसले पर ही विश्वविद्यालय कुछ छात्र संगठन के प्रभाव में क्यों प्रश्न उठा रही हैं ।जिस सत्र में मेरा नामंकन हुआ है उस सत्र से पूरे विश्वविद्यालय के चारों जिला में 200 से अधिक नामंकन विभिन्न महाविद्यालय, एवं विभागों में हुआ है, क्या विश्वविद्यालय नकारात्मक शक्ति के दवाब में आ गयी है। मैं स्प्ष्ट कर चुकी हूँ कि मेरा नामंकन तत्कालीन छात्र कल्याण अध्यक्ष से मिले निर्देश पर प्रधानाचार्य के माध्यम से हुआ है। इसके लिए कोई छात्र दोषी कैसे हो सकता है। प्रत्येक वर्ष सैकड़ो छात्रों का नामंकन छात्र कल्याण अध्यक्ष के निर्देश पर स्नाकोत्तर विभाग में होता है। जिस सत्र में मेरा नामंकन हुआ है उस सत्र में मेरे गणित विभाग में एम.आर. एम. महाविद्यालय में अब भी लगभग 28 सीट रिक्त है ।और जिस समय मैने नामंकन लिया उस समय आधे से अधिक सीट खाली थी।किसी भी महाविद्यालय में रिक्त सीट पर नामंकन सक्षम पदाधिकारी के निर्देश पर हिं होता है न कि किसी छात्र के कहने पर, अब जब मैं पढ़ते हुए ,पास होते हुए चतुर्थ सेमेस्टर में आ गयी हूँ।

और आज विद्वेशी तत्वों के प्रभाव में विश्वविद्यालय जो प्रश्न पैदा कर रहा है, तो उससे पहले नामंकन पदाधिकारियों पर करवाई करे ।उसके बाद ही छात्र का नाम आता है, क्योकि छात्र अपने से नामंकन नही लेता है,
ज्ञात हो कि मेरे अध्यक्ष के रूप में चुनाव का प्रश्न है तो नॉमिनेशन के बाद स्क्रूटनी ने रिटर्निंग ऑफिसर के रूप में कुलसचिव महोदय एवं कमिटी में वर्तमान अध्यक्ष छात्र कल्याण सहित अन्य कई शिक्षक व पदाधिकारी थे, सब कुछ जांचने के उपरांत ही मेरा नॉमिनेशन सही पाया गया, अब इसपर सवाल उठना हास्यास्पद हैं। मैं यह भी कहना चाहती हूँ छात्र संघ चुनाव नियमावली में लिखित है कि किसी भी शंका होने पर 21 दिनों के अंदर ही आवेदन दिया जा सकता है, और यह समय काफी पहले बीत गया है, क्या शिक्षा के मंदिर में बैठे लोग पिछले दरवाजे से हारने वाले को पुरस्कृत करना चाहती है, कुछ अधिकारी राजनैतिक विद्वेश से प्रेरित होकर संभवतः हमारे संगठन से घृणा करने के कारण इसमे विशेष रुची लेते हैं, यह ठीक नहीं है, उच्चधिकारियों को इसपर ध्यान रखना चाहिए।
जब मेरे सत्र का अंत 31 मई को हो रहा है तो ऐसे समय मे अपने राजनैतिक रोटी सेकने का प्रयास निंदनीय है, विश्वविद्यालय ऐसे तत्वों के हाथ मे खेलने से परहेज करे तो बेहतर होगा। किसी भी एकल फैसला का मैं किसी भी स्तर तक जाकर बिरोध करूँगी, यह विश्वविद्यालय के लिए भी काला अध्याय होगा क्योकि लोकतांत्रिक व्यवस्था को कुचलने का अधिकार किसी को नहीं है।
हम यह भी बताना चाहते हैं कि नामंकन से संबंधित मामले पर ग्रीवांस रिड्रेसल स विचार भी नहीं कर सकता हैं, इसपर अगर कोई विचार कर सकता है तो वह नामंकन समिति है और खासकर कॉलेज नामंकन समिति, इसलिए ग्रीवांस रिड्रेसल सेल अपने अधिकार का अतिक्रमण नहीं कड़े तो न्यायोचित होगा।
और अंत मे मैं यह भी कहना चाहती हूँ एक छात्र होने के नाते जब मेरी परीक्षा 28 मई से आरंभ हो रहा है तब जबर्दस्ती इस मुद्दे को विवाद में रखा जा रहा है, इसके कारण मुझे पढ़ाई में भी व्यवधान उतपन्न हो रहा है, जो ठीक नहीं हैं, मैं आशा करती हूं विश्वविद्यालय नम्रतापूर्ण व्यवहार करते हुए विद्वेशी एवं उपद्रवी तत्वों के प्रभाव से मुक्त होकर छात्र हित मे अनुकूल निर्णय लेगी।

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