मणिकांत झा द्वारा रचित पुस्तक जलमणि का हुआ लोकार्पण
दरभंगा कार्यालय:जल संकट की त्रासदी झेलने को मजबूर मिथिलावासी को जल संरक्षण एवं जल संचयन के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से मैथिली साहित्य के स्वनामधन्य कवि, भारत निर्वाचन आयोग के दरभंगा जिला आइकॉन एवं आकाशवाणी, दरभंगा के संवाददाता मणिकांत झा द्वारा मणि श्रृंखला अंतर्गत रचित पुस्तक ‘जलमणि’ का लोकार्पण विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष में बुधवार को एमएमटीएम महाविद्यालय के सभागार में दरभंगा के उप विकास आयुक्त डॉ कारी प्रसाद महतो , महापौर बैजयंती खेड़िया व अन्य सम्मानित अतिथियों के हाथों किया गया।
जलमणि का लोकार्पण करते हुए दरभंगा के उप विकास आयुक्त डॉ कारी प्रसाद महतो ने कहा कि जल प्रकृति की अनमोल धरोहर है। बिना पानी के जीवन संभव नहीं है। मौजूदा जल संकट की समस्या हमारी भूल व लापरवाही से उपजा है। ऐसे में मणिकांत झा का रचना संग्रह जलमणि, जल संचयन एवं जल संरक्षण के प्रति हमारे समाज को जागरूक करेगा, ऐसा उनका विश्वास है। इस अवसर पर महापौर ने कहा कि दरभंगा शहर में पूर्व मे 240 तालाब हुआ करता था जो अब मात्र सत्तर रह गया है।यह चिंता का विषय है।
लोकार्पण समारोह में अपना विचार रखते हुए मैथिली के वरिष्ठ साहित्यकार एवं ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ अशोक कुमार मेहता ने कहा कि महात्मा गाँधी शिक्षण संस्थान द्वारा प्रकाशित मणिकांत झा का यह रचना संग्रह जल संकट की वर्तमान समस्या से निजात दिलाने में मददगार साबित होगा। विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डाॅ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि मणि श्रृंखला की अन्य रचनाओं की तरह जलमणि भी मैथिली साहित्य जगत को समृद्ध बनाने के साथ साथ समाज को नई चेतना प्रदान करने में सहायक सिद्ध होगी। मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झा ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण होता है। ऐसे में प्रकृति प्रदत्त जल के संकट से जूझ रहे मिथिला वासी के लिए मणिकांत झा की रचना जलमणि नई राह खोलेगी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए एमएलएसएम कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ विद्या नाथ झा ने कहा कि पुरखों से मिले जल स्रोत की विरासत को यदि हम समय रहते संभाल कर नहीं रख पाए तो आने वाली पीढ़ियां हमें कभी माफ नहीं करेंगी। उन्होंने परंपरागत कुओं व तालाबों के रखरखाव में विभिन्न स्तर पर हो रही अनदेखी पर सवाल खड़ा करते कहा कि समय रहते इसके संरक्षण के प्रति एकजुट होकर प्रयास किया जाना समय की मांग है।
कार्यक्रम में वरिष्ठ कवयित्री आभा झा, पंडित विष्णु देव झा विकल, डा ए डी एन सिंह, धर्मेंद्र झा, वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ ओम प्रकाश, महात्मा गाँधी शिक्षण संस्थानके चेयरमैन हीरा कुमार झा आदि ने भी अपने विचार रखे । टटुआर पंचायत के पूर्व मुखिया प्रो जीवकांत मिश्र एवं हास्य कवि डा जय प्रकाश चौधरी जनक के संचालन में आयोजित विमोचन समारोह में अनेक कवियों ने अपनी रचनाएं पढ़ी जबकि मिथिला के लब्ध प्रतिष्ठित कलाकारों डाॅ सुषमा झा, जानकी ठाकुर, केदारनाथ कुमर, दीपक कुमार झा, नीरज कुमार झा, गौरी कांत झा, सुनील कुमार झा आदि द्वारा जलमणि पुस्तक में संग्रहित गीतों की संगीतमय प्रस्तुति दी गई।
गंधर्व कुमार झा द्वारा प्रस्तुत वेद ध्वनि एवं केदारनाथ कुमर के गाये गोसाउनि गीत से विधिवत शुरू हुए इस कार्यक्रम में डॉ अनिल कुमार झा, विनोद कुमार झा ,प्रो चंद्रशेखर झा बूढ़ा भाई, विजय कांत झा, गणेश कांत झा, प्रवीण कुमार झा, नीलम झा, स्वर्णिम किरण झा आदि की उल्लेखनीय उपस्थिति रही। कार्यक्रम में मिट्टी की बनी सुराही अतिथियों को उपहार स्वरूप प्रदान की गई।
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