Home Featured विलुप्त हो रही है नदियों की जलधारा ,विलुप्त के कगार पर देशी मछली और मखान
June 11, 2019

विलुप्त हो रही है नदियों की जलधारा ,विलुप्त के कगार पर देशी मछली और मखान

दरभंगा कार्यालय: पिछले 2 वर्षों से कम वर्षा नहीं होने के कारण जिले में जल संकट की मार पड़ने लगा यह मार सिर्फ लोगों पर ही नहीं मिथिला की पहचान पर भी खतरा मंडराने लगा। मिथिला की पहचान अब विलुप्त के कगार पर देसी मछली रेहु, कतला का दौर लगता है अब प्रकृति के मार के सामने विलुप्त हो रहे हैं ।नदी,पोखरा सूखने लगे।पोखरा के सूखने के मुख्य कारण भू माफिया है ये भू माफिया पोखरा के किनारे धीरे धीरे मिट्टी भर कर बेचने लगे इस ओर किसी की नजर नही परा जब जिले में घोर भीष्ण जल संकट आया तो लोगो की नजर भू माफिया द्वारा किये जा रहे पोखर का अतिक्रमण पर आला अधिकारियों का इस ओर ध्यान आकर्षित कराया।उसी तरह दरभंगा जिला से गुजरने वाले नदी के किनारे भूमि अधिग्रहण है। बड़े बड़े भूमि कारोबारी नदी के आसपास अतिक्रमण कर जमीन बेच रहे है और बढ़ती आबादी नदियों के किनारे तक आ कर बस गए है।

एक तरफ सरकार पर्यावरण संरक्षण की बात कर रही है तो इस मुद्दे पर खासा जोर भी दिया जा रहा है। लेकिन बिहार में नदियां लगातार अपना अस्तित्व खो रही हैं। इस भीषण गर्मी में सूखे की मार झेल रहे दरभंगा जहां तकरीबन तीन से चार नदियां बहती है। अब वहां पोखर तालाब और नदियां सूख चूके हैं।

लोगों की मानें तो एक समय था जब कमला नदी नेपाल से निकल कर दरभंगा होते हुए अन्य जिलों में विशाल रूप लिए प्रवेश करती थी और बागमती नदी में मिल जाती थी। इससे उलट आज हालात ये है कि कमला नदी लगभग विलुप्त हो चुकी है। लोगों का कहना है बारिश के दिनों में यहां मौजूद कोशी और बागमती नदी का पानी इसमें आकर मिल जाता है।

दरभंगा में नदियों का हाल पर क्या कहते है जानकार
जानकारों का कहना है कि नदी सूखने के मुख्य कारण मिट्टी कटाव और भूमि अधिग्रहण है।बड़े बड़े भूमि कारोबारी नदी के आसपास अतिक्रमण कर जमीन बेच रहे है और बढ़ती आबादी नदियों के कगार तक आ कर बस गई। आज हर जगह घर, मार्कट कॉम्पलेक्स बन रहे है जिनके आगे नदियों का सरंक्षण जरूरी मुद्दा नहीं रह जाता। इनमें मिट्टी की खपत भी बड़े मात्रा में होती है सभी जगह मिट्टी नदियों से ही ली जाती है।
स्थानीय लोगों पर असर
नदियों के सूखने से स्थानीय लोगों की रोजी-रोटी पर भी फर्क पड़ रहा है। सबसे ज्यादा परेशानी उन गांवों के लिए है जो नदी के आसपास बसे हैं। ग्रामीण नदी से ही सिंचाई का काम करते हैं। ऐसे में इस सुखाड़ में किसानों के लिए कई समस्याएं खड़ी हो गई हैं। वहीं, मछुआरे तो यहां से पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं। उनकी रोजी रोटी का जरिया मछलियां ही होती हैं।
नहीं बदले हालात
समय के साथ बदलते भौगोलिक स्थितियों में दरभंगा का भूगोल भी बदलता जा रहा है। वर्षो से दरभंगा में 4 नदियों का बहाव होते रहा है। दरभंगा के कुशेश्वरस्थान को नदियों का ससुराल भी कहा जाता है। लेकिन सुखाड़ से नदियां नाम मात्र की रह गई। उनकी स्वच्छता और संरक्षण के लिए मंत्रालय बने, परियोजनाएं चली लेकिन हालात नहीं बदले।

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