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July 4, 2019

जन जागरूकता से ही होगा जल संकट का निदान: जिलाधिकारी।

दरभंगा : जिला पदाधिकारी डॉ. त्यागराजन एस एम ने कहा कि भू-गर्भ जल का स्तर लगातार नीचे जाने के कारण पेयजल की कमी एक बड़ी संकट बनती जा रही है। इस संकट से निबटने हेतु तत्काल ठोस कदम उठाने की जरूरत है। इसमें रेन वाटर हार्वेस्टिंग यानि वर्षा के जल का किसी खास माध्यम से संचयन सबसे आसान विकल्प है, उन्होंने कहा कि रेन वाटर हार्वेस्टिग ज्यादा प्रचलन में नहीं होने के कारण वर्षा का पानी बह जाता है। उसका संचयन और पुनर्भरण किया जाना आवश्यक है।

विदित हो कि पानी की कमी की समस्या के निदान हेतु केन्द्र सरकार द्वारा एक नया ‘‘जल शक्ति मंत्रालय’’ गठित किया गया है और एक जुलाई से ‘‘संचय जल, बेहतर कल’’ थीम के साथ जल शक्ति अभियान प्रारंभ किया गया है।
उन्होंने कहा कि प्रथम चरण में सरकार द्वारा बिहार राज्य के मात्र बारह जिलों के बीस प्रखण्डों का चयन किया गया है जिसमें दरभंगा जिला का कोई भी प्रखण्ड शामिल नहीं है। उन्होंने कहा कि जल शक्ति अभियान में शामिल नहीं होने के बाद भी जल संकट को देखते हुए वाटर हार्वेस्टिग एवं ग्राउंड वाटर रिचार्जिग हेतु जिला में अभियान चलाया जायेगा।
इस अभियान के तहत सर्वप्रथम सभी सरकारी भवनों के छत पर से वर्षा के पानी को पाइप के जरिये परिष्कृत गड्ढे में ले जाया जायेगा, जहाँ से यह पानी जमीन द्वारा अवशोषित कर लिया जायेगा। इस प्रक्रिया से भू-जल पुनर्भरण (ग्राउंड वाटर रिचार्जिग) हो जायेगा और भू-जल का समान स्तर बना रहेगा।
उन्होंने कहा कि जल शक्ति अभियान के तहत जल संचयन एवं भू-जल पुनर्भरण हेतु यह कार्यशाला आयोजित की गई है। इसका मूल उद्देश्य पानी का संरक्षण करने हेतु आम लोगों को जागरूक करना है।
तदुपरांत इस कार्यशाला में रेन वाटर हार्वेस्टिग एवं ग्राउंड वाटर रिचार्जिंग विषय पर एक पावर प्वाइंट प्रजेटेंशन दिखाया गया। इसमें वर्षा के पानी का संरक्षण का आसान एवं किफायती उपाय की जानकारी दी गई।
जिलाधिकारी ने बताया कि प्रथम चरण में सभी सरकारी कार्यालयों एवं विद्यालयों के छतों पर के वर्षा के पानी को एकत्रित करके पाईप के जरिए परिष्कृत गड्ढे में ले जाकर ग्राउंड वाटर रिचार्जिंग किया जायेगा। कार्यशाला में उपस्थित कार्यपालक अभियंता, भवन संरचना प्रमण्डल द्वारा बताया गया कि तीन भवनों में वाटर हार्वेस्टिग का कार्य प्रारंभ किया जा रहा है। जिलाधिकारी ने उन्हें समाहरणालय के भवनों में सर्वप्रथम यह कार्य प्रारंभ करने को कहा है।
जिलाधिकारी ने बताया कि अधिक से अधिक भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिग कार्य तेजी से पूरा कराने हेतु मनरेगा योजना से भी कार्य कराया जायेगा। मनरेगा योजना से विद्यालय, आँगनवाड़ी केन्द्र, पंचायत भवन आदि में रेन वाटर हार्वेस्टिग का कार्य पूरा किया जायेगा।
रेन वाटर के साथ ही हैंड पंप, बोरबेल, कुँआ आदि जहाँ पर पानी निकालने के क्रम में जो पानी बर्बाद होता है उस पानी को पास ही सोख्ता बनाकर उसमें ले जाया जायेगा। इससे गंदगी भी नही फैलेगी और ग्राउड वाटर रिचार्ज भी होता रहेगा। जिलाधिकारी ने जल संचयन एवं जल पुनर्भरण हेतु स्वयंसेवी संगठनों, क्लबों आदि को भी आगे आकर अपना बहुमूल्य योगदान देने का अपील किया है।
जिलाधिकारी ने नगर निगम प्रशासन को मकानों का नक्शा की स्वीकृति प्रदान करने के साथ बिल्डिंग वायलॉज का अनुपालन कराने का निदेश दिया। उन्होंने कहा कि बिल्डिंग वायलॉज के अनुसार सभी घरों में वाटर हार्वेस्टिग अनिवार्य है।
उन्होंने नगर निगम प्रशासन को पूरे नगर क्षेत्र में वाटर हार्वेस्टिग के लिए प्रेरित करने हेतु जागरूकता अभियान चलाने को कहा है। इसके साथ ही प्राकृतिक संसाधनों के सुदृढ़ीकरण पर भी जो दिया गया जिसमें आहर, पोखर, तालाब ,पैन आदि का सुदृढ़ीकरण शामिल है। उन्होंने कहा कि कतिपय अवांछित तत्वों द्वारा तालाबों पर अतिक्रमण कर लिया गया है जिनके विरूद्ध कड़ी कार्रवाई की जायेगी। उन्होंने कहा कि मत्स्य विभाग के द्वारा बंदोबस्त किये गये सैरातों का बंदोबस्तधारियों द्वारा दुरूपयोग किये जाने की शिकायतें प्राप्त हो रही है। इसके चलते कई तालाबों का अस्तित्व ही खत्म होता जा रहा है। जिलाधिकारी ने जिला मत्स्य पदाधिकारी को उनके द्वारा बंदोबस्त किये गये सैरातों के बंदोबस्तधारियों पर निगरानी रखने का निदेश दिया है।
उन्होंने कहा कि जिला में अवस्थित छब्बीस सरकारी तालाबों का सर्वेक्षण कराया गया है जिसमें से पाँच तालाबों पर अतिक्रमण पाया गया है। उन्होंने कहा कि ऐसे अतिक्रमणकारियों के विरूद्ध कठोर कार्रवाई होगी।
उन्होंने कहा कि जल संचयन के साथ-साथ पारिस्थितिकी संतुलन हेतु पूरे भू-भाग के एक तिहाई हिस्से में वृक्षारोपण आवश्यक है। इसलिये जिला में अधिक से अधिक वृक्षारोपण कराने का कार्य प्रारंभ किया गया है। सर्वप्रथम सरकारी कार्यालय परिसरों में वृक्षारोपण का कार्य किया जा रहा है। निजी लोगों को भी अपने घर, खेत-खलिहान, मेढ़़, बाँध आदि पर अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि छोटे-छोटे पहल से ही बड़ी-बड़ी समस्याओं का समाधान हो सकेगा। इसके पूर्व जिलाधिकारी द्वारा दीप प्रज्वलित कर कार्यशाला का शुभारंभ किया गया। इस कार्यशाला के रूप-रेखा की प्रस्तुति उप विकास आयुक्त डॉ. कारी प्रसाद महतो द्वारा दिया गया। इस कार्यशाला में कई वक्ताओं ने भी अपने-अपने विचार रखे।
इस कार्यशाला में डीएम, डीडीसी, निदेशक,डीआरडीए, डीपीआरओ, डीईओ, कार्यपालक अभियंता भवन,मनरेगा एवं अन्य, डीएओ, डीएफओ, रोटरी क्लब, लायेस् क्लब आदि के प्रतिनिधि सम्मिलित हुए।

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