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August 31, 2019

नैतिकता का बोध जबरन नहीं कराया जा सकता :कुलपति।

दरभंगा:ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सुरेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि नैतिकता का बोध जबरन नहीं कराया जा सकता है बल्कि व्यक्ति को उसे खुद जागृत करना होगा

उक्त बातें कुलपति ने शनिवार को शिक्षा शास्त्र विभाग द्वारा प्रोफेसर उमाकांत चौधरी मेमोरियल व्याख्यान के तहत शैक्षिक शोध में नैतिकता का महत्व विषय पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कही। प्रोफेसर सिंह ने कहा कि ऐसा ज्ञान जो व्यक्ति समाज और देश के लिए उपयोगी हो उसी पर शोध होना चाहिए साथ ही वह सामाजिक रूप से प्रासंगिक भी हो और समस्याओं का हल करने में सहायक हो। उन्होंने कहा कि आज देश मे 40000 शोध में सिर्फ 1000 शोध ही मूल शोध हो रहे हैं। यानी मात्र 2.5 फीसदी । 97.5 फ़ीसदी शोध किसी काम का नहीं है। अब शोधकर्ताओं को सोचना होगा कि वे 2.5 में रहे या 97.5 फ़ीसदी की श्रेणी में।उन्होंने कहा कि
किसी भी विश्वविद्यालय का रीढ़ शोधार्थी होते है।शोधार्थीसृजन के लिए उन्हें अतिरिक्त प्रयास करना होगा। उन्होंने कहा कि पर्यवेक्षक और शोधार्थी को निर्णय लेना होगा कि विश्वविद्यालय की पहचान मात्र डिग्री देते रहने की श्रेणी में रहे या शोध कार्य में अलग पहचान के लिए।
कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सर्व नारायण झा ने कहा कि रक्त में नैतिकता का बीज हरेक व्यक्ति में है लेकिन इसे कोई व्यवहार में नहीं लाते हैं। उन्होंने शोधर्थियों का आह्वान किया कि वे अपने शोध में सत्य धर्म और का उपयोग करें। सत्य का अनुसरण रहे तो नैतिकता का स्वयम विकास हो जाता है। उन्होंने कहा कि हरेक व्यक्ति की अपनी प्रवृति होती है जो उसका धर्म होता है।अर्थात अपनी प्रवृति के अनुरुप लोगो को चलना चाहिए।साथ ही उन्होंने स्वाध्याय पर जोर देते हुए कहा कि इसका दूसरा कोई विकल्प नहीं है।
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के शिक्षा शास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर प्रेम नारायण सिंह ने कहा कि शोधार्थी को जिज्ञासू होना चाहिए तभी वह ज्ञान प्राप्त कर सकता है। ज्ञान नहीं तो शोध नहीं। उन्होंने कहा कि शोधार्थी को कम्फर्ट जोन से बाहर निकलना होगा ।नैतिकता उचित अनुचित का विवेक है। नैतिक मूल्यों का संबंध जीवन मूल्यों से है तथा जीवन मूल्यों का संबंध व्यक्तिगत स्तर पर व्यक्तिगत समाज के स्तर पर समाजिक तथा राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय होना चाहिए। नैतिकता का विकास बाहर से नहीं बल्कि मनुष्य के अंदर से आता है।
डॉ जाकिर हुसैन शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ डी एन सिंह ने कहा कि शिक्षा में नैतिकता के बिना गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा की बात बेमानी है।उन्होंने कहा कि शोधार्थी से जो उम्मीद होती है उसे शिक्षक को अपने व्यवहार में प्रस्तुत करना चाहिए।अन्यथा नैतिकता की चर्चा बेमानी होगी ।
दूर शिक्षा निदेशालय के निदेशक डॉ सरदार अरविंद सिंह ने शोधार्थी को समसामयिक विषय पर शोध करने की अपील की।
दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के उपनिदेशक डॉ विजय कुमार ने कहा कि शोध प्रोन्नति या नौकरी के लिए नहीं करना चाहिए बल्कि समाज के लिए उपयोगी होना चाहिए। मानू के प्राध्यापक डॉ फ़ैज़ अहमद शोध नेआने वाली समस्याओं पर प्रकाश डाला। आगत अतिथियों का स्वागत शिक्षा शास्त्रविभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर विनय कुमार चौधरी ने किया वहीं धन्यवाद ज्ञापन डॉ रौली द्विवेदी ने किया ।

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